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    न्यायालय के बारे में

    छतरपुर की स्थापना 1785 में हुई थी और इसका नाम बुंदेला राजपूत छत्रसाल(स्वतंत्रता सेनानी) के नाम पर रखा गया है, जो बुंदेलखंड की आजादी के संस्थापक हैं। उनके वंशजों द्वारा राज्य पर 1785 तक शासन किया गया था। उसके बाद राजपूतों के परमार वंश ने छतरपुर पर अधिकार कर लिया था।

    ब्रिटिश राज द्वारा 1806 में कुंवर सोने सिंह परवार को राज्य की प्रत्याभूति दी गई थी। 1854 में छतरपुर ब्रिटिश सरकार के व्यपगत का सिद्धान्त के तहत प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी के लिए पतित हो गया, लेकिन अनुग्रह के विशेष कार्य के रूप में जगत राज को सम्मानित किया गया था। परमार राजाओं ने 1,118 वर्ग मील (2,900 किमी) के क्षेत्र के साथ एक रियासत पर शासन किया, और 1901 में यहाँ 156,139 की आबादी थी, इस वक्त यह मध्य भारत की बुंदेलखंड एजेंसी का हिस्सा था। इस राज्य में नौगांव का ब्रिटिश छावनी भी था।

    इस प्रांत में शासन करने वाले राजाओं के नाम निम्न हैं:-

    4 मई 1649 - 20 दिसंबर 1731 महाराजा छत्रसाल
    1785–1816 कुंवर सोन शाह
    1816–1854 परताब सिंह
    1854–1867 जगत सिंह
    1867–1895 विश्वनाथ सिंह
    1895-1932 विश्वनाथ सिंह
    1932-1947 भवानी सिंह
    1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद छतरपुर बुंदेलखंड[...]

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    SureshKumarKait
    माननीय मुख्य न्यायाधीश माननीय श्री न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैट
    JUSTICEDWARKADHISHBANSAL
    माननीय पोर्टफोलियो न्यायाधीश माननीय श्री न्यायमूर्ति द्वारकाधीश बंसल
    000796
    प्रधान जिला एवं सेशन न्यायाधीश रविंदर सिंह

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